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रायसीना डायलॉग 2017 के एक सत्र को संबोधित करते हुए विदेश सचिव जयशंकर ने जिस अंदाज में चीन व भारत के रिश्तों को परिभाषित किया है वह भारतीय कूटनीति के लिए नया है। जयशंकर ने कहा कि, ''भारत की प्रगति चीन के उदय के लिए कोई खतरा नहीं है लेकिन चीन को भारत की भौगोलिक संप्रभुता का सम्मान करना होगा।''
इसी सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले चीन को यह संकेत दिया था कि दूसरे देशों को जोड़ने की उसकी कोशिश में अन्य देशों की संवेदनाओं का सम्मान करना चाहिए। आज मोदी के बात को जयशंकर ने और स्पष्ट कर दिया। उन्होंने सीधे तौर पर कश्मीर होते हुए पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को जोड़ने वाली चीन की सड़क परियोजना सीपीईसी का जिक्र करते हुए कहा कि, ''चीन एक ऐसा देश है जो अपनी संप्रभुता को लेकर काफी संवेदनशील रहता है। ऐसे में उम्मीद की जाना चाहिए कि वे दूसरे देशों की संवेदनाओं का भी ख्याल रखेंगे। यह परियोजना भारत के एक संवदेनशील हिस्से से गुजरती है।''
हालांकि विदेश सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की संवेदनशीलता को लेकर चीन की तरफ से अभी तक कोई सकारात्मक रूख नहीं दिखाया गया है। भार
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